Bhagwat sharan upadhyaya biography of abraham

भगवतशरण उप&#;ध&#;य&#;य क&#; ज&#;वन पर&#;चय

भगवतशरण उप&#;ध&#;य&#;य क&#; ज&#;वन पर&#;चय

ज&#;वन-पर&#;चय-भगवतशरण उप&#;ध&#;य&#;य क&#; जन&#;म सन&#; ई. म&#;&#; उ. प&#;र. क&#; बल&#;य&#; ज&#;ल&#; क&#; उज&#;य&#;रप&#;र न&#;मक ग&#;&#;व म&#;&#; ह&#;आ थ&#;&#; अपन&#; प&#;र&#;रम&#;भ&#;क श&#;क&#;ष&#; सम&#;प&#;त करन&#; क&#; ब&#;द इन&#;ह&#;&#;न&#; क&#;श&#; ह&#;न&#;द&#; व&#;श&#;वव&#;द&#;य&#;लय स&#; प&#;र&#;च&#;न इत&#;ह&#;स व&#;षय म&#;&#; एम. ए. क&#;य&#;&#; य&#; स&#;स&#;क&#;त - स&#;ह&#;त&#;य तथ&#; प&#;र&#;तत&#;व क&#; समर&#;थ अध&#;य&#;त&#; एव&#; ह&#;न&#;द&#; - स&#;ह&#;त&#;य क&#; प&#;रस&#;द&#;ध उन&#;न&#;यक रह&#; ह&#;&#;&#; इन&#;ह&#;&#;न&#; भ&#;रत क&#; प&#;र&#;च&#;न इत&#;ह&#;स एव&#; भ&#;रत&#;य स&#;स&#;क&#;त&#; क&#; व&#;श&#;ष अध&#;ययन क&#;य&#; ह&#; &#; 

म&#;&#; आपक&#; द&#;ह&#;वस&#;न ह&#; गय&#; &#;

जन&#;मसन&#; ई.
जन&#;म स&#;थ&#;नउज&#;य&#;रप&#;र ग&#;&#;व (ज&#;ल&#; बल&#;य&#;, उ. प&#;र. )&#;
भ&#;ष&#;पर&#;म&#;र&#;ज&#;त, श&#;द&#;ध खड&#;&#; ब&#;ल&#; ह&#;न&#;द&#; भ&#;ष&#;&#;
रचन&#;ए&#;स&#;ह&#;त&#;य व कल&#;, स&#;म&#;र&#;ज&#;य&#;&#; क&#; उत&#;थ&#;न पतन, स&#;गर क&#; लहर&#;&#; पर&#;
म&#;त&#;य&#;सन&#; ई.

स&#;ह&#;त&#;य&#;क पर&#;चय

भ&#;ष&#;-श&#;ल&#;

'अजन&#;त&#;' ल&#;ख म&#;&#; इनक&#; ख&#;ल&#; व&#;च&#;र, भ&#;ष&#;-श&#;ल&#; क&#; च&#;न&#;व क&#; स&#;थ ह&#; इनक&#; द&#;व&#;र&#; वर&#;ण&#;त ग&#;फ&#;ओ&#; क&#; च&#;त&#;रक&#;र&#; क&#; स&#;न&#;दर&#;य क&#; सज&#;व च&#;त&#;रण म&#;लत&#; ह&#;&#;

क&#;त&#;य&#;&#;&#;'व&#;श&#;व स&#;ह&#;त&#;य क&#; र&#;पर&#;ख&#;', 'स&#;ह&#;त&#;य और कल&#;', 'ख&#;न क&#; छ&#;&#;ट&#;', 'इत&#;ह&#;स क&#; पन&#;न&#;&#; पर', &#;कलकत&#;त&#; स&#; प&#;क&#;&#;ग', 'क&#;छ फ&#;चर क&#;छ एक&#;&#;क&#;', 'इत&#;ह&#;स स&#;क&#;ष&#; ह&#;', 'ठ&#;&#;ठ&#; आम', 'स&#;गर क&#; लहर&#;&#; पर', 'व&#;श&#;व क&#; एश&#;य&#; क&#; द&#;न', 'मन&#;द&#;र और भवन', 'इण&#;ड&#;य&#; इन क&#;ल&#;द&#;स', 'म&#;&#;न&#; द&#;ख&#; ल&#;ल च&#;न', 'भ&#;रत&#;य च&#;त&#;रकल&#; क&#; कह&#;न&#;', 'व&#;म&#;न इन ॠग&#;व&#;द' आद&#; &#;

ड&#;. भगवतशरण उप&#;ध&#;य&#;य द&#;व&#;र&#; भ&#;रत&#;य स&#;स&#;क&#;त&#; तथ&#; स&#;ह&#;त&#;य पर व&#;द&#;श&#;&#; म&#;&#; द&#;ए गए व&#;य&#;ख&#;य&#;न ह&#;न&#;द&#; स&#;ह&#;त&#;य क&#; अम&#;ल&#;य धर&#;हर ह&#; &#; प&#;र&#;तत&#;व क&#; क&#;ष&#;त&#;र म&#;&#; त&#; आपक&#; व&#;श&#;ष&#;ट स&#;थ&#;न ह&#; ह&#; &#; स&#;ह&#;त&#;य क&#; व&#;भ&#;न&#;न व&#;ध&#;ओ&#; म&#;&#; स&#; स&#; अध&#;क रचन&#;ए&#; करक&#; ह&#;न&#;द&#; स&#;ह&#;त&#;य क&#; सम&#;द&#;ध करन&#; म&#;&#; आपक&#; य&#;गद&#;न अव&#;स&#;मरण&#;य ह&#;&#;